kanchan singla

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परिंदो का गुनाह

जिन्हे पंख सिर्फ़ उड़ने के लिए मिले थे
कैद कर दिए गए वो
किसी की खुशी के लिए
इंसान, इंसान को नहीं देखता यहां
पंखों को उड़ान कैसे भरने देगा
परिंदे कैद किए गए
यही उनका गुनाह था
पंख उनके इस गुनाह का सबूत हैं।।

पंख तोड़े मरोड़े दिए गए
परिंदे कैद कर दिए गए
आजादी कहां से लाएं
पिंजरा ही अब जीवन है
घर वही, संसार वही
शाश्वत सी सांसों का
अब अरमान वही ।।

एक दिन तो आएगा...
जब वह कटेगा इन जंजीरों को
बोएगा आजादी की नयी बौर
जोड़ेगा नयी डोर
खोलेगा हर सांकल
टूटेगी उसी दिन हर बेड़ी
इन गुलामी की जंजीरों की
होगा हर परिंदा आजाद अपने गुनाहों से
यह गगन और नभ भर उठेगा
हर ओर चहचहाहट से
तब सुनना तुम आज़ादी की नयी धुन।।


- कंचन सिंगला ©®
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लेखनी प्रतियोगिता -17-Nov-2022


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9 Comments

Sushi saxena

19-Nov-2022 02:20 PM

Nice 👍🏼

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अदिति झा

18-Nov-2022 12:05 PM

Nice

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Abhinav ji

18-Nov-2022 08:56 AM

Nice

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